होली-पे तेरी दस्तख क्या
हुई
मन तेरे रंगों मे रंग गया
जिस रंग और गुलाल से
डरता था “ आशा “
उसमें प्रियतमा तेरी मुस्कराहट
का,
रंग घुलकर मुझे तेरे रंगों
मे रंग गया |
( नवीन कुमार “आशा” )
मेरे शब्द आजकल कम हो गए , लगता है जैसे राह में हम अकेले हो गए तुलनात्मक अध्ययन की राह में रख दिया है हमको कहो मेरी मुस्कान पर भी अब हर ...