Tuesday 17 January 2017

"दिल जोड़-जोड़ धड़क रहा "
" हर रोज़ एक-ही बात ! चलती हूँ ! "
" ठहर न......... अभी बताता हूँ..... आज गाना सुन रहा था ' जो न करना वो कर गयी '.......... ! "
" सो क्या..... विशेष क्या है..... गाना ही सुना न........"
" ख़ास नहीं लग रहा... सही है......... ये ही जानना  चाहता था , मेरे लिए ये गाना कौन-कौन गाता है ! जान गया............ "
" पहेली में बात करोगें , तो इस सर्दी में दिमाग कैसे चलाऊंगी ! वैसे- भी सर्दी पराकाष्ठा पर है ! सोचने का मौका भी नहीं देते...... कहते हो ख़ास क्या है ???....... सताने वाली आदत गयी नहीं तुम्हारी............"
" टोन  चेंज कर डाला........ वैसे एक बात सही पूछी हो..... सतानें से क्या मिलता है...... बता ही देता हूँ ' मुस्कराहट ' मूल्य जिसका सिर्फ-सिर्फ मेरे लिए बनी है......"
" उफ्फ्फ........ क्या बचा अब......... बस इतना कहना  चाहती हूँ......... तन्हाई में रहूँ या भीड़ में......बस एक-ही तस्वीर उभरती है मन के भीतर........ वो बस तुम......बस तुम......... बेफिक्र हो कर निहारती तुमको.....बस तुमको........."

#दर्देदिल

नवीन कुमार "आशा "
दरभंगा

तुलनात्मक अध्ययन

 मेरे शब्द आजकल कम हो गए , लगता है जैसे राह में हम अकेले  हो गए  तुलनात्मक अध्ययन की राह में  रख दिया है हमको  कहो मेरी मुस्कान पर भी अब हर ...