Saturday 29 July 2023

तुलनात्मक अध्ययन

 मेरे शब्द आजकल कम हो गए ,

लगता है जैसे राह में हम अकेले 

हो गए 

तुलनात्मक अध्ययन की राह में 

रख दिया है हमको 

कहो मेरी मुस्कान पर भी अब हर 

कोई निःशब्द हो गए 

टूटना-टूट कर जी-भर अश्क बहाना 

किसे अच्छा लगता,

पर देखो अश्क के प्रेम में उलझ अक़्सर 

हम रो -रो कर हंसने लगे 

घाटों पर जब कदम रखता हूँ कदमताल करते,

तो सच में सीढ़ियों पर बैठे तमाम चेहरे को देख,

खुद की उम्मीद पुनः जागृत होते दिखते अक़्सर,

अगर कोई निकम्मा-नाकारा-पागल कहे,

तो समझना तुम्हारे व्यवहार से वो जल खुद को ख़ाक पाता है ,

अपने बचपन को बना के रखना , क्योंकि अगर कोई बुरा वचन भी कहे,

तो तुम उन वचनों को सुन भी जी-भर मुस्कुरा सको 

सपनों को उड़ान देना अगर है ,तो खुद को खुद की 

परेशानियों में खुद का ज़ज़्बा बन के रहना 

क्योंकि ज़माना तुम्हें तब तक प्यार करेगी , जब-तक 

उन्हें तुम से मतलब है ,

अगर तुम खुद को प्यार करोगे ,

तो न कभी तकलीफ़ होगी और 

न राह में हार कर भी तुम हार पाओगे ,

बस इतना समझना दोस्त मेरे , खुद की जीत तुम 

खुद हो ,

अगर जीतना है तुमको ,तो होने दो तुलनात्मक अध्ययन ||



नवीन आशा 

सारनाथ 




Saturday 25 December 2021

कुछ लिखना आसान नहीं,

 कुछ लिखना आसान नहीं,

कहाँ से शुरू करूँ तुम्हारा किस्सा |

पथ में था अकेला, चाहिए था किसी 

साथी का सहारा

जिसे भरोसा हो मेरे हर फैसले पर ,

जिसे बेहद हो निःस्वार्थ भाव-सा प्रेम 

तुम्हारे आने से क्या कहूँ हर राह आसान 

सी लग रही,

पहली बार कलम और पन्नों को तुम्हारे 

लिए उठा रहा 

सच कहूँ आज पहली बार कुछ लिखने 

में, जी-भर ख़ुद पर प्यार आ रहा 

पहली मुलाक़ात हमारी-तुम्हारी,

आँखों में एकांत-सा छिपा प्रेम का इशारा 

उन इशारों में जन्म-जन्म का साथ रहने का 

वादा 

मैं तुमको क्या दूँ, अगर तुम्हारा साथ रहें तो 

सच कहता हूँ 

हर ख़्वाब तुम्हारा पूर्ण करूँगा,तुम्हारे कहने से 

पहले 

लड़ना-झगड़ना तुम्हारे मन की बिन कहे सुनना,

सच कहूँ तो दिल की धड़कन पर धमक बिन कहे 

दे देता 

तुम जब गुमसुम सी होती, सच कहूँ तो तन्हाई को 

सोच डर-सा लगता है |

पहली कविता तुम्हारे नाम लिखा हूँ, अब हर कविता 

का प्रथम अक्षर  तुम-ही हो 

उन कविता का शब्द भी तुम, हाँ तुम्हारे आने से 

सच कहूँ तो हर जंग आसान सा लग रहा 

हाँ ना जानें क्यों तुमसे ख़ुद को दूर करने का 

मन अब न कर रहा ||



#नवीनआशा

Sunday 8 August 2021

तपन के बाद जो सुबह होती

कुछ समय से मन के भीतर बहुत-सी आँधियाँ या यूँ कहूं तूफ़ान चल रहा | मन शब्दों संग खेलना चाह रहा ,आनंदित भी करना चाह रहा तो उन शब्दों की मौन व्यथा संग जीवन के कुछ अनसुलझे पहलुओं को समझाने का प्रयास भी कर रहा |बारिश की बूँद से वातावरण भी समझाने को प्रयासरत है कि ख़ुद को संचारित रखने का ज़रिया वो पर्यावरण है जो आपके साथ हर वक़्त चलते है | ख़ुद को समझना और ख़ुद पर प्रयोग कर दिशा दिखाना तब आसान है जब आप दर्द के आलम में भी चेहरे की हँसी को बरक़रार रखते है | तलाश हमेशा जारी रखनी चाहिए पर उसमें तत्परता की भी आवश्यकता है | बंद कमरे में अकेले रह देखिए , जीवन की सच्चाई पता चलेगी | खाली दिवार दर्पण का काम करेगा और ख़ुद की अच्छाइयों -बुराईओं से रु-बरु करवाएगा | दिशा की तलाश हर समय करें क्योंकि इंसान दिशा-विहीन तब होता जब वो ख़ुद को रेस में आगे समझता है | हमेशा ये सोचें की अगर आपने अच्छा किया तो कोई उससे अच्छा कर सकता या किया होगा | पता है इससे ये मालूमात होता है कि ख़ुद के भीतर ख़ुद को ख़ुद के लिए बनाना है, कि रेस में दूसरे को चित करने के लिए | चाय की चुस्की सभी ने ली होगी , जब हम होंठों से चाय की प्याली को लगाते है तो कभी कभी उसके तपन से जीभ जल जाती है | फिर भी  हम अक़्सर कहते है वाह चाय अच्छी थी मजा गया | कहने का मतलब ये है कि तपने के समय कष्ट तो होता है ,पर उस तपन के बाद जो सुबह होती है वो आनंदित और प्रफुल्लित कर जाती है | सपनों संग तब तक जीना छोड़े जब तक आँखों के सामने उसे तैरता पाए | जीवन की दिशा तब और सुंदर लगता है, जब इंसान मन से ख़ुद को ताना देता है , बस ध्यान रक्खें की ख़ुद को ताना ख़ुद से तुलना कर के दें  कि दूसरों संग कर के ||

नवीन आशा 


Monday 12 July 2021

' टूटा तारा ' सुकून देता गीत

 अक़्सर गीत सुनता हूँ  | अधिक समय पुराने गीतों को सुनता हूँ और ख़ुद को सुकून पहुंचाता हूँ | आप-सभी को लग रहा होगा अपनी बातों से फिर बोर करूँगा , तो चलिए शुरू करता हूँआज शाम से लगभग 20 बार एक ही गीत सुना हूँ , यूँ कहूं तो 100 मिनट उसी गीत में ख़ुद को डूबा रक्खा | आज-ही (12 July) रिलीज़ हुई है , 'Kumaar ' का लिखा गीत है और Stebin Ben की आवाज़ और Sham Balker का संगीत | जी म्यूजिक से रिलीज़ इस गीत के बोल है टूटा तारा  ' | मैं समीक्षक नहीं हूँ , बस बतौर प्रसंशक के रूप में इस गीत के बारे में लिख रहा हूँशुरूआती बोल ही गीत का मजबूर कर देता है कि  इस गीत पूरा सुना जाए |  " ख़्वाहिश पूरी करता हैखत्म ये दुरी करता है  " गीत यहीं से शुरू होता है , अलाव जल रहा होता है और खुली आसमान के नीचे तारों के बीच इस गीत को शुरू किया गया है | यूँ तो हम सभी ने टूटता तारा देखा होगा , पर जब आप इस गीत के बोल को अच्छी तरीके से समझने का प्रयास करेंगे तो सच कहूं आपको अहमियत पता चलेगी टूटते तारों का | गिटार के धुनों के संग गाने का शुरुआत सुकून देता है | गीत के रचनाकार ने गीत के बोलो को बहुत ही शानदार तरीके से रचा है | हर शब्द जैसे मन के भीतर पहुँच हमें टूटने पर भी कैसे सम्भलना है , सीख दे जाती है | इस गीत को सुनते हुए में तो ख़ुद कुछ देर रुक गया, 2मिनट 47 सेकंड पर जब एक्टर के द्वारा अपने बैग को ख़ुद से लगाना यह संदेश देता है कि जब हम तन्हा और ख़ुद को अकेले पाते है या यूँ कहूं तो टुटा महसूस करते है तो ख़ुद को कैसे संभालना है या यूँ कहूं तो सांत्वना देनी है | गाने के बोल तो सुकून देते ही है , पर जब आप गाने की वीडियो को देखते है तो 2मी.41 सेकंड पर आपको चादर पर अच्छे पेंटिंग का नमूना भी देखने को मिलेगा | इस गीत के बोल में इमोशन भी और कहीं--कहीं मोटिवेशन भी की जब हम टूटते है तो फिर किस प्रकार उठ खड़े हो फिर | एक जगह बोल है ' रह ना सका जब तेरे बिन ' , ना जाने ये बोल तारों की अहमियत को बयान करती है | अगर मैं यूँ कहूं तो बहुत दिनों के बाद मैंने इस तरह का गाना सुना जो सुकून दे गया मन को ||

नवीन आशा

तुलनात्मक अध्ययन

 मेरे शब्द आजकल कम हो गए , लगता है जैसे राह में हम अकेले  हो गए  तुलनात्मक अध्ययन की राह में  रख दिया है हमको  कहो मेरी मुस्कान पर भी अब हर ...