Thursday 7 January 2021

 ठाकुर हवेली, तेजपुर पर,  लिखी थी ये कविता |  आज आप सभी के सम्मुख प्रस्तुत है | अपनी राय अवश्य प्रस्तुत करें ||



बहन 
लड़ती भी,
झगड़ती भी, 
पर सच ये भी है 
भाई की सफल जीवन 
को ले अक़्सर 
जी-भर प्रार्थना भी करती 
वो ||
बहन,
रूठती भी,
मनाती भी 
सच ये भी है लेकिन,
उदास जब देखे भाई 
का चेहरा 
चुपके नीर बहाती भी ||
बहन,
वो मार्ग है जीवन का,
जो ज्योति बन , मार्गदर्शित 
कर जाती अक़्सर ||
बहन,
पागल-मुर्ख भी कह जाती,
मन आनंदित फिर भी हो जाता 
बहन,
नहीं देखती भाई गरीब वा है 
अमीर 
वो हर-पल हँसी के बंधन 
में बाँध अक़्सर,
मुस्कराहट से भाई को,
सदैव रखती अमीर ||
बहन,
लड़ती भी 
.............. ||


नवीन आशा 


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