Wednesday 30 June 2021

मन के लिए

 


मन हारता नहीं,

नाराज़ हो जाता 

बिन कहे,

नाराज़गी इस बात से,

कि ख़ुद के होंठों 

पर हँसी गायब कर 

लेता हूँ 

तल्खी इस बात की ,

कि मैं ख़ुद को कमजोर 

समझ लेता हूँ 

रूठ बैठा बिन कहे,

क्योंकि मैं राहों में 

ख़ुद को अकेला समझ 

लेता हूँ ,

मन अक़्सर इशारों में,

कई बातों से रु-बरु करवा 

जाता 

हाँ मन मेरी धड़कनों को 

समझ 

मेरी राहों को स्वप्नों से 

सजाता 

मन हारता नहीं ,

मन नाराज़ हो जाता 

सच है जब मन नाराज़ 

हो जाता,

तो ना जाने ख़ुद की आँखों में 

ख़ुद ही मैं औझल हो जाता 

मन हारता नहीं 

मन नाराज़ होता जाता 

#नवीनआशा#मन#सेल्फमोटिवेशन 



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