मन हारता नहीं,
नाराज़ हो जाता
बिन कहे,
नाराज़गी इस बात से,
कि ख़ुद के होंठों
पर हँसी गायब कर
लेता हूँ
तल्खी इस बात की ,
कि मैं ख़ुद को कमजोर
समझ लेता हूँ
रूठ बैठा बिन कहे,
क्योंकि मैं राहों में
ख़ुद को अकेला समझ
लेता हूँ ,
मन अक़्सर इशारों में,
कई बातों से रु-बरु करवा
जाता
हाँ मन मेरी धड़कनों को
समझ
मेरी राहों को स्वप्नों से
सजाता
मन हारता नहीं ,
मन नाराज़ हो जाता
सच है जब मन नाराज़
हो जाता,
तो ना जाने ख़ुद की आँखों में
ख़ुद ही मैं औझल हो जाता
मन हारता नहीं
मन नाराज़ होता जाता
#नवीनआशा#मन#सेल्फमोटिवेशन