Monday 25 May 2020

धड़कन में तुम

आज प्रस्तुत है प्रेम की कविता "धड़कन में तुम " |

           "धड़कन में तुम " 

उस दौर की बातें में मशरूफ़ हो
चला मन मेरा,
जिस दौर में तुम कोशी से कमला
होते हवा की झोकों की तरह
मन में समाए धड़कन पर अपनी
धाप रख रही थी ||
मेरा मन जानता है तुम्हारे क़दमों
की आहट जिस दिन होगी जीवन में ,
वो दिन शायद इतिहास रचने सा होगा ||
साँसों ने आजकल ख़ुद ही ज़िद से जिद
की ,
शायद साँसों में तुम्हारी एहसास की आहट
महसूस हो रही ||
अजीब होता है प्रेम के एहसास संग ख़ुद
को ज़िंदा रखना,
क्योंकि तुम वो प्रेम हो जिसकी ना आहट है
जीवन में
ना है कोई उससे गिला -शिकवा
बस उसके स्वप्नों को पूरा करने की
खातिर ख़ुद को ख़ुद से लड़ना
में सीखा रहा ||
टूटते-बिखरते मैंने ख़ुद को कई बार
देखा है,
पर फिर ख़ुद को बिखर संभालना
तुमसे ही तो सीखा है||
ख़ुद गंगा के किनारे मीलों तुमसे
दूर जीवन व्यतीत कर रहा ,
शायद ख़ुद का एहसास तुम-तक
पहुँचाने का हुनर सीख़ रहा ||
मैं तुमको महसूस कर हर पल
होंठों को मुस्काता हूँ ,
बस तुम यूँही एहसास अपना भेजती
रहो,
मैं जीवन के सफलतम पड़ाव पर पहुँच
तुम्हारी हर ख़्वाहिश पूर्ण करने को
तैयार ख़ुद को कर रहा ||


नवीन आशा
सारनाथ (वाराणसी )
P.C : Thakur's Edit


Saturday 9 May 2020

माँ

मातृ दिवस की शुभकामना संग आज प्रस्तुत है कवियत्री  " अकर्षिता सिंह " द्वारा रचित कविता 'माँ  ' | अकर्षिता ,वसंता कॉलेज ऑफ़ वीमेन राजघाट (वाराणसी ) से डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन  की पढ़ाई कर रही है | 





                      1

ये जो तुम बात -बात में चिल्ला उठते हो ,
झल्ला उठते हो, परेशान हो उठते हो  
उसके बार-बार पूछे गये एक सवालों 
पर  
कभी सोचा भी है ?
कितनी रात की नींद गवाईं है उसने  
तुम्हें अपनी गोद में लेकर  
तुम्हारे सिर्फ एक दफ़ा चिल्लाने पर ,
रोने पर  ,उठ जाने पर  
क्या वो कभी झल्लाई थी तुम-पर  ?

                    2.
हर बार तुम्ही से मिलती हूँ ,
तुम्ही से झगड़ती हूँ  
तुम्ही से  उलझती  हूँ  
और  अक़्सर  तुम्ही से  
सूलझ जाती हूँ ||

                    3.
आज हम थोड़े  बेख़ौफ़ हुए है 
अपनी बातों  को बेबाकी  से कहने  के  लिए  |
हमने  अपनी शालीनता नहीं छोड़ा  
कुछ मर्यादाओं  को तोड़ा है  
कुछ घिसी -पिटी परम्पराओं से मुँह मोड़ा है 
क्योंकि माँ अक़्सर कहती थी ,
सहम के मत आगे बढ़ना  
ख़ुद राह को बना, उन राहों पर  
सूर्य के प्रकाश सा चमकना  ||







अकर्षिता सिंह  
डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन  
वसंता कॉलेज ऑफ़ वीमेन  
राजघाट (वाराणसी )

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