मेरी पहचान हो तुम , मेरे
चेहरे की मुस्कान को तुम
जख्म जो देतें हैं अपनें
,उस जख्म का मरहम हो तुम
मेरे टूटें ख्वाबों को ,
बुननें की ताकत हो तुम
मेरे जीवन की राह हो तुम , मेरे
महफ़िल की रौनक हो तुम
बिगरें थे जो रिश्तें ,
मेरी नादानियों के कारण
उस बिगरें रिश्तों को ,
सुधारनें का जरिया हो तुम
मेरी पहचान हो तुम ,मेरे
चेहरें की मुस्कान हो
रूठने के सिवा , ना आता था
कुछ भी
उसें हँसना –हँसाने का ,
औषधि बना गयी
मेरी पहचान हो तुम , मेरे
चेहरें की मुस्कान हो तुम
छुप-छुपकर प्यार जो करता था
तुझसें “आशा”
उसें प्यार की परिभाषा सिखा
गयी
मेरी पहचान हो तुम , मेरे
चेहरें की मुस्कान हो तुम
नवीन आशा
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