Wednesday 3 August 2016

इलज़ाम

"इलज़ाम  लगाया
इंतज़ार तो करते
तड़पता जो है
रात की तन्हाइयों में अक्सर
दिल से याद तो करते
ज़िन्दगी का अहम हिस्सा
बनाया जिसने 
खुदा के दर पर फ़रियाद
तो करते
न मिलता गर मुलाकाती बन-कर
तो फिर जी-भर कर गुनाहगार
कहते "
"

नवीन कुमार " आशा "

तुलनात्मक अध्ययन

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