" नई ज़िंदगी " सोनू माही द्वारा रचित ये कविता ' प्रथम कविता प्रतियोगिता-2020' में सांत्वना पुरस्कार हेतु चयनित किया गया है | यह कविता ज़िंदगी की अहमियत का संदेश देते दिख रही है | आप-सभी अपनी राय अवश्य दें |
नई ज़िंदगी
चलो, एक ज़िंदगी और जीते है
ग़म के आलम में थोड़ी ख़ुशियाँ
बिखराते है,
उदास चेहरे को हँसी से चमकाते है,
चलो, एक ज़िंदगी और जीते है ||
अपनों के संग वक़्त बिताकर ,
चलो पुरानी बातों को याद करते है
चलो ,एक ज़िंदगी और जीते है ||
रिश्तों की बुनियाद को ज़रा गंभीरता
संग लेते है,
चलो, इस बंधन को थोड़ा मज़बूत कर,
अपनों को मोहित करते है
चलो, एक ज़िंदगी और जीते है ||
काल्पनिक दुनिया से बाहर निकल,
वास्तविकता को गले लगा खुशियाँ
सजाते है
चलो, एक ज़िंदगी और जीते है ||
सोनू माही
दरभंगा, बिहार
बहुत खूब सोनू..
ReplyDeleteआपने अपनी इस रचना के माध्यम से जीवन और जीवन में अपनों के साथ की अहमियत को जिस सहजता व सरलता से चित्रित किया है, काफ़ी सराहनीय है। ऐसे ही लिखते रहिये और निरंतर आगे बढ़ते रहिये.. 👍👌
👌👌👌👌
ReplyDeleteBhaut Sundar
ReplyDeleteNice line 👌👌
ReplyDeleteAmazing
ReplyDeleteBhaut khub sonu 👌
ReplyDelete👌👌
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