कवियत्री मैथिली के द्वारा रचित कविता प्रस्तुत है | मैथिली पेशे से वकील है |
अल्फ़ाज़ों का सफर
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दिल में फिर बात उभर आई ,
राह ढूंढ रही कश्मक़श के बीच ||
उतावला हो रहा दिल ना जानें क्यों ,
ख्यालों को तराशने के लिए ||
अल्फ़ाज़ों का सफर तय करने को
जी कर रहा ,
पर अलफ़ाज़ लबों पर आहट ना दे
रही ||
निराश -हैरान करवट बदल रही
थी,
एहसास -तमन्ना दिल में लिए ||
महसूस की एक आहट तन्हा
कमरे में ,
रूह थी मेरी अँधेरे के सायें में
मिल
उजाले की राह दिखाने आई थी ||
बोल बैठी तन्हाई अक़्सर काटती ,
पर सच है तन्हा रह अल्फ़ाज़ों को
पन्नों पर पिरों
ज़िंदगी का सफर आसान लगता है ||
तभी लबों पर हल्की मुस्कान बिखरी ,
ले उठी फिर रक्खी वो स्याही
नव-संचार नव-ऊर्जा के संग
दिल सुकून भरी आह भर रही ,
कुछ अनसुलझे ख्यालों को सुलझाकर
दिल में फिर बात उभर आई ,
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मैथिली