Wednesday 29 April 2020

अल्फ़ाज़ों का सफर

कवियत्री मैथिली के द्वारा रचित कविता प्रस्तुत है | मैथिली पेशे से वकील है | 

अल्फ़ाज़ों का सफर  
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दिल में फिर बात उभर आई ,
राह ढूंढ रही कश्मक़श के बीच ||
उतावला हो रहा दिल ना जानें क्यों ,
ख्यालों को तराशने के लिए  ||
अल्फ़ाज़ों का सफर तय करने  को  
जी  कर रहा ,
पर  अलफ़ाज़ लबों पर आहट ना दे  
रही ||
निराश -हैरान करवट बदल रही  
थी,
एहसास -तमन्ना दिल में लिए  ||
महसूस की एक आहट  तन्हा  
कमरे  में ,
रूह  थी मेरी  अँधेरे के सायें में  
मिल  
उजाले  की राह दिखाने आई थी  ||
बोल बैठी तन्हाई अक़्सर काटती ,
पर  सच है तन्हा रह अल्फ़ाज़ों को  
पन्नों पर पिरों  
ज़िंदगी का  सफर आसान लगता है  ||
तभी लबों पर  हल्की मुस्कान  बिखरी ,
ले उठी फिर रक्खी वो स्याही 
नव-संचार  नव-ऊर्जा के संग  
दिल सुकून भरी आह भर रही ,
कुछ अनसुलझे ख्यालों को सुलझाकर  
दिल में फिर  बात  उभर  आई ,
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मैथिली


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