Tuesday 24 June 2014

कौन हो तुम कुछ तो बताओ

कौन हो तुम कुछ तो बताओ
यूँ आँखों ही आँखों से नींद ना चुराओ |
एहसासों के बंधन में बंध सा गया
क्योंकि पास रहकर भी दूर रहता गया  |
अँधेरा भी सुकून भरी आह-भर  रही
क्योंकि अँधेरे को भी तेरी खूबसूरती भा गयी  |
कौन हो तुम कुछ तो बताओ
यूँ इक झलक दे-देकर रातों की नींद ना चुराओ |
बरामदें पे बैठना जिसे नापसंद था कल-तक
उसें भीड़ में रहनें की अहमियत सिखा गयी
कौन हो तुम कुछ तो बताओं
यूँ-ही हरपल बातों से ना उलझाओ |
“आशा “खुद को पाता था अकेला
अकेलेपन में रहकर ठहाकों का दर्पण दिखा गयी |
कौन हो तुम कुछ तो बताओ
इक-पल ही सही घूँघट तो उठाओ|

नवीन कुमार “आशा”
EMAIL ID :navink310@gmail.com






Friday 30 May 2014

कुछ पंक्तियाँ .....

           (1)
गुनाह ही सही , तो मैं मजबूर हूँ
अब ना चाहता ,तुझसे दूर रहूँ
कमबख्त मौसम भी साजिश गढ़ रही
सुबह –शाम बारिश की बूंदों से
तेरे नाम का ज़हर ,मेरे रूह में भर रही |
          (2)
बारिश की झमाझम में
तेरी यादों की बरसात हुई
गिरती हर बूंदों पे
तेरी आवाज सरेआम हुए
कल शाम ही दीदार किया तेरा
आज मौसम भी खुशहाल हुई
बारिश की झमाझम में
तेरी यादों की बरसात हुई |

नवीन कुमार “आशा”  (email id : navink310@gmail.com)
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Sunday 16 March 2014

होली-पे...............



होली-पे तेरी दस्तख क्या हुई

मन तेरे रंगों मे रंग गया 

जिस रंग और गुलाल से

डरता था  “ आशा “

उसमें प्रियतमा तेरी मुस्कराहट का,

रंग घुलकर मुझे तेरे रंगों मे रंग गया |

 

( नवीन कुमार “आशा” )

Friday 14 March 2014

"काश "

काश ,तन्हाईं के आलम में तू पास होती
काश , दिल-ए-अजीज तुम बस तुम होती
काश , आँखों से जो आँसू निकलता " वो आँसू तुम होती "
 काश , आँखें जब बंद करता ,
 उन बंद आँखों की एहसास तुम बस तुम होती
"काश "..............

Thursday 6 March 2014

आहट तेरे कदमोँ की ,
पहले पता चलता
हालत जब देखता

 तेरे दिल का
ना जाने  जीने ,

को मन करता |


            (नवीन कुमार 'आशा'

इक इतिहास बनाओगे…..

इक इतिहास बनाओगे…..
..................................................

मोड़ कैसा भी आए जिंदगी मेँ
,खुद से ना घबराना
धैर्य के बंधन मेँ बंद जाओ,
ऐसा एक संगम बन जाओ
कदम अगर चाहे रुकने को,
लड़खड़ाते ही सही उसे तुम जगाना
कानोँ को बंद कर लेना तुम,
ताना अगर कोई मारे
एक बात हमेशा याद रहेँ
लक्ष्य से ना भटकना तुम
कितना भी कोई अभिशाप कहे ,
माता पिता के लिए शाप कहे
कोई अगर ना थामे हाथ
उस वक्त ना घबराना
जब दिल चाहे रोने को
आयना देख तुम रोना
एक सुकून तुम पाओगे,फिर इक इतिहास बनाओगे
इक इतिहास बनाओगे।
(नवीन के आशा

Monday 3 March 2014

दिल का मेल

अक्सर तन्हाई मेँ ,
आँसू छलक जाती है
अक्सर तेरी याद मेँ ,
जाम पी लेता हूँ
अक्सर सिसकते होठोँ पेँ,
 तुझे महसुस करता हूँ
बाँते ये अनमोल हैँ
आखिर तूझसे तो,
 दिल का मेल हैँ।



(नवीन के आशा )

तुलनात्मक अध्ययन

 मेरे शब्द आजकल कम हो गए , लगता है जैसे राह में हम अकेले  हो गए  तुलनात्मक अध्ययन की राह में  रख दिया है हमको  कहो मेरी मुस्कान पर भी अब हर ...