Friday 16 October 2020

"आशा - संगम एहसासों का" के द्वारा आयोजित प्रथम कविता प्रतियोगिता-2020 में प्रथम पुरस्कार हेतु सुश्री स्तुति द्विवेदी द्वारा रचित कविता को चुना गया |  सभी पाठक के समक्ष उनकी रचित कविता| इस कविता में एक चिंतन देखने को मिल रहा | आप-सभी पाठक अपनी राय अवश्य प्रदान करें | 



स्कर्ट हमारी छोटी हुई तो 
मन तुम्हारा बहक गया 
पर फिर क्यों मासूमों पर 
कहर तुम्हारा बरस गया 
हैवान की हैवानियत 
गलती बता कर छुपा दी 
और हमको ही ना जाने 
कितनी नयी सलाह दी 
ऐसी लड़कियों के साथ 
यही होता है..ये टैग तक लगा दिया 
और अपने वहशीपन को
शाबाशी का ताज पहना दिया
ये है वहीं जो दस्तक देते
अनजान बन कतार में 
ये है वहीं जो निकल जाते 
भीड़ की आड़ में 
ये है वहीं जो चिपक जाते 
मेट्रो की भीड़ भाड़ में
 ये तो नहीं सुधरेंगे 
अब हमें ही जागना होगा 
इनकी सीमा बतला दो कि 
इन्हें वहीं रुकना होगा 
अगर हम सहते रहे तो 
ये बीमारी नहीं जाएगी 
चौराहे नुक्कड़ पर हर रोज
एक नयी निर्भया मारी जाएगी 
एक नयी निर्भया मारी जायेगी 




स्तुति द्विवेदी 
वाराणसी, उत्तर प्रदेश



29 comments:

  1. Well done.....बहुत ही बेहतरीन 🥰

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  2. Very nice...Well written 👌👌👌👌

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  3. Sad reality, very well written Soumya.
    Keep your pen running for many more such great poems to bring necessary change in the society.
    Proud of you.

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  4. बहुत खूब👌👌

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  5. Thought provoking...well done Stuti💯💯❣👌👌

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  6. Wow...bahut aacha👏👏 Keep it up 👍

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  7. यथार्थ चित्रण... साहसिक लेखन... ऐसे ही लिखते रहें 👌👍

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  8. bahut hi sundar...well done👍

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  9. Woww!! Very beautifully written stuti!! Kudos to you ❤️

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  10. Heart touching poetry...keep it up

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  11. A great lesson through Words.
    Stuti.��

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