Saturday 28 October 2017

परिभाषा

मेरी पहचान हो तुम , मेरे चेहरे की मुस्कान को तुम
जख्म जो देतें हैं अपनें ,उस जख्म का मरहम हो तुम
मेरे टूटें ख्वाबों को , बुननें की ताकत हो तुम
मेरे जीवन की राह हो तुम , मेरे महफ़िल की रौनक हो तुम
बिगरें थे जो रिश्तें , मेरी नादानियों के कारण
उस बिगरें रिश्तों को , सुधारनें का जरिया हो तुम
मेरी पहचान हो तुम ,मेरे चेहरें की मुस्कान हो
रूठने के सिवा , ना आता था कुछ भी
उसें हँसना –हँसाने का , औषधि बना गयी
मेरी पहचान हो तुम , मेरे चेहरें की मुस्कान हो तुम
छुप-छुपकर प्यार जो करता था तुझसें “आशा”
उसें प्यार की परिभाषा सिखा गयी
मेरी पहचान हो तुम , मेरे चेहरें की मुस्कान हो तुम

नवीन आशा
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