Friday 20 October 2017

" लौ ने जिद की "

 कवियत्री मैथिली मूलतः मधुबनी जिला की निवासी है ! वर्तमान में  राँची से वकालत पढ़ रही है ! आज उनकी कविता ' लौ ने जिद की ' आपके समक्ष प्रस्तुत है ! मैथिली का मूल नाम शिल्पा रानी है !


" लौ ने जिद की "



अँधेरे में एक लौ जली है ,
ख़ुशी के आँगन में जो बादल
घिरी दुख के  ,
हटाने की लौ ने जिद की है !
बरसात हो या छाये हो
काले बादल ,
लौ ने उजाला  करने की
जिद की है !
असफलता तो  झुकाती
बुजदिलों को ,
लौ ने उन्हें भी मंजिल पर
पहुँचाने  की जिद की
है !
मंजिल कितना भी दुखदायी हो ,
लौ को तो बस उसके दर पर
दस्तख दे जानी है !
चाहे बुझाए तूफानी हवा इसे ,
इस लौ में तो बस जलने की
रवानी है !
देख़ हिम्मत लौ की ,
ज़माने को भी हिम्मत मिली
निराशा के पथ पर ,
न जानें आशा की एक
लौ जली !

Copyright -मैथिली ( Shilpa Rani )


5 comments:

तुलनात्मक अध्ययन

 मेरे शब्द आजकल कम हो गए , लगता है जैसे राह में हम अकेले  हो गए  तुलनात्मक अध्ययन की राह में  रख दिया है हमको  कहो मेरी मुस्कान पर भी अब हर ...