कवियत्री मैथिली मूलतः मधुबनी जिला की निवासी है ! वर्तमान में राँची से वकालत पढ़ रही है ! आज उनकी कविता ' लौ ने जिद की ' आपके समक्ष प्रस्तुत है ! मैथिली का मूल नाम शिल्पा रानी है !
" लौ ने जिद की "
अँधेरे में एक लौ जली है ,
ख़ुशी के आँगन में जो बादल
घिरी दुख के ,
हटाने की लौ ने जिद की है !
बरसात हो या छाये हो
काले बादल ,
लौ ने उजाला करने की
जिद की है !
असफलता तो झुकाती
बुजदिलों को ,
लौ ने उन्हें भी मंजिल पर
पहुँचाने की जिद की
है !
मंजिल कितना भी दुखदायी हो ,
लौ को तो बस उसके दर पर
दस्तख दे जानी है !
चाहे बुझाए तूफानी हवा इसे ,
इस लौ में तो बस जलने की
रवानी है !
देख़ हिम्मत लौ की ,
ज़माने को भी हिम्मत मिली
निराशा के पथ पर ,
न जानें आशा की एक
लौ जली !
Copyright -मैथिली ( Shilpa Rani )
" लौ ने जिद की "
अँधेरे में एक लौ जली है ,
ख़ुशी के आँगन में जो बादल
घिरी दुख के ,
हटाने की लौ ने जिद की है !
बरसात हो या छाये हो
काले बादल ,
लौ ने उजाला करने की
जिद की है !
असफलता तो झुकाती
बुजदिलों को ,
लौ ने उन्हें भी मंजिल पर
पहुँचाने की जिद की
है !
मंजिल कितना भी दुखदायी हो ,
लौ को तो बस उसके दर पर
दस्तख दे जानी है !
चाहे बुझाए तूफानी हवा इसे ,
इस लौ में तो बस जलने की
रवानी है !
देख़ हिम्मत लौ की ,
ज़माने को भी हिम्मत मिली
निराशा के पथ पर ,
न जानें आशा की एक
लौ जली !
Copyright -मैथिली ( Shilpa Rani )
बहुत खूब।
ReplyDeleteNice line
ReplyDeleteWahhh... Shaandaar 👌👌
ReplyDeleteThank you sir ☺
Deleteinspirational
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