Saturday 8 October 2016

बिन मतलब , मुस्कुराता खुद


लड़ता भी ,खुद से
रूठता भी ,खुद से
वकील भी , बनता खुद
सजा भी , सुनाता खुद
मौन रहना , सीखा नहीं
बिन मतलब , मुस्कुराता खुद
आयना ज़िंदगी का, खुद से ही
कारण शायद सटीक है ,
खुद-को-खुद पर ,जी-भर यकीन है |

नवीन कुमार “आशा “
दरभंगा

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