"इलज़ाम लगाया
इंतज़ार तो करते
तड़पता जो है
रात की तन्हाइयों में अक्सर
दिल से याद तो करते
ज़िन्दगी का अहम हिस्सा
बनाया जिसने
खुदा के दर पर फ़रियाद
तो करते
न मिलता गर मुलाकाती बन-कर
तो फिर जी-भर कर गुनाहगार
कहते "
"
नवीन कुमार " आशा "
इंतज़ार तो करते
तड़पता जो है
रात की तन्हाइयों में अक्सर
दिल से याद तो करते
ज़िन्दगी का अहम हिस्सा
बनाया जिसने
खुदा के दर पर फ़रियाद
तो करते
न मिलता गर मुलाकाती बन-कर
तो फिर जी-भर कर गुनाहगार
कहते "
"
नवीन कुमार " आशा "
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