मेरे शब्द आजकल कम हो गए ,
लगता है जैसे राह में हम अकेले
हो गए
तुलनात्मक अध्ययन की राह में
रख दिया है हमको
कहो मेरी मुस्कान पर भी अब हर
कोई निःशब्द हो गए
टूटना-टूट कर जी-भर अश्क बहाना
किसे अच्छा लगता,
पर देखो अश्क के प्रेम में उलझ अक़्सर
हम रो -रो कर हंसने लगे
घाटों पर जब कदम रखता हूँ कदमताल करते,
तो सच में सीढ़ियों पर बैठे तमाम चेहरे को देख,
खुद की उम्मीद पुनः जागृत होते दिखते अक़्सर,
अगर कोई निकम्मा-नाकारा-पागल कहे,
तो समझना तुम्हारे व्यवहार से वो जल खुद को ख़ाक पाता है ,
अपने बचपन को बना के रखना , क्योंकि अगर कोई बुरा वचन भी कहे,
तो तुम उन वचनों को सुन भी जी-भर मुस्कुरा सको
सपनों को उड़ान देना अगर है ,तो खुद को खुद की
परेशानियों में खुद का ज़ज़्बा बन के रहना
क्योंकि ज़माना तुम्हें तब तक प्यार करेगी , जब-तक
उन्हें तुम से मतलब है ,
अगर तुम खुद को प्यार करोगे ,
तो न कभी तकलीफ़ होगी और
न राह में हार कर भी तुम हार पाओगे ,
बस इतना समझना दोस्त मेरे , खुद की जीत तुम
खुद हो ,
अगर जीतना है तुमको ,तो होने दो तुलनात्मक अध्ययन ||
नवीन आशा
सारनाथ